कुछ लोग बहुत याद आए
इनमें से कुछ गम देने वाले थे
तो खुशी देने वाले भी थे
अपने भी थे
पराए भी थे
कुछ सबक सिखाने वाले थे
कुछ हाथ पकड़कर राह दिखाने वाले थे
कुछ ने तो तंग भी किया
कुछ ने खुले दिल से अपनाया
कभी अपने काम ना आएं
कभी अजनबी काम आए
ऐसे ही जीवन नैया लगी किनारे
किनारे पहुँच झांकते अतीत में
सब कुछ समाया इसमें
बहुमूल्य मोती भी कंकड़ भी
कभी-कभी कंकड़ चुभे भी
हमने परवाह नहीं की
मोती चुनने में लगे रहें
खाली हाथ तो नहीं रहे
कुछ ना कुछ तो हासिल ही हुआ
कुछ नसीब कुछ कर्म हमारे
हंसी आती है
अतीत जैसा भी था
इतना बुरा भी नहीं
लाजवाब भी था
अनुभव से भरा था
अतीत और भूत के बीच
आज वर्तमान में खडे होकर
अतीत दिख रहा है भूत नहीं
उसमें झांकना संभव भी नहीं
सब है राम भरोसे
No comments:
Post a Comment