Friday, 19 April 2024

सब है राम भरोसे

जब जब अतीत में झाँका 
कुछ लोग बहुत याद आए 
इनमें से कुछ गम देने वाले थे 
तो खुशी देने वाले भी थे
अपने भी थे 
पराए भी थे
कुछ सबक सिखाने वाले थे
कुछ हाथ पकड़कर राह दिखाने वाले थे
कुछ ने तो तंग भी किया
कुछ ने खुले दिल से अपनाया 
कभी अपने काम ना आएं 
कभी अजनबी काम आए 
ऐसे ही जीवन नैया लगी किनारे 
किनारे पहुँच झांकते अतीत में 
सब कुछ समाया इसमें 
बहुमूल्य मोती भी कंकड़ भी
कभी-कभी कंकड़ चुभे भी 
हमने परवाह नहीं की 
मोती चुनने में लगे रहें 
खाली हाथ तो नहीं रहे 
कुछ ना कुछ तो हासिल ही हुआ
कुछ नसीब कुछ कर्म हमारे 
हंसी आती है 
अतीत जैसा भी था
इतना बुरा भी नहीं 
लाजवाब भी था 
अनुभव से भरा था 
अतीत और भूत के बीच
आज वर्तमान में खडे होकर 
अतीत दिख रहा है भूत नहीं 
उसमें झांकना संभव भी नहीं 
सब है राम भरोसे 

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