कैमरे की तरह हर रील ऑखों के आगे घूमने लगी
वो लम्हें वो पल
सब याद आने लगे
ना जाने कितनी प्यारी प्यारी तस्वीर संजो रखी है मन में
लगा कि देखते ही रह जाऊं
उन क्षणों में खो जाऊं
बिना कारण के
रूठना - मनाना , रोना - हंसना , चिल्लाना - मुस्कराना
हर बात में शिकवा - शिकायत
क्या दौर था वह भी
चलो कोई बात नहीं
साथ भले ना हो याद तो है
उसी में झूम लेते हैं
कहकहे लगा लेते हैं
मन से तो नजदीक है
वही क्या कम है ।
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