Tuesday, 14 May 2024

यही रहना है

कमियां हैं तो रहने दो साहब 
खुद को खुदा थोड़े ही बनाना है 
कौन सा हमें यहाँ हमेशा रहना है
आज हैं कल चले जाना है
जीवन तो रैन बसेरा है
अमरता का वरदान भी नहीं चाहिए 
बस इतना चाहिए 
जब तक है कर्म करते रहें 
किसी की मुस्कान बन सकें 
किसी के ऑसू पोछ सकें 
किसी के मन को समझ सकें 
ज्यादा नहीं कर सके 
अपनों के काम तो आ सके 
नहीं चाहिए वैराग्य 
हम तो खुश है गृहस्थी में 
क्या करना है पहाड़ की खूबसूरती देखकर 
अपने बच्चों के चेहरे पर मुस्कान देखना है
क्या करना है शांति में बैठकर
यह कोलाहल ही अच्छा है
जीवंतता का प्रमाण जो है
दाता से यही दान की अपेक्षा 
अपनों का साथ हो हमेशा 

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