बडे भाग्य से यह जन्म मिला है
क्या-क्या नहीं देखना होता है
विरह , पीडा , मृत्यु
हर दंश को सहता है
जीवन फिर भी जीता है
कभी अपने लिए कभी अपनों के लिए
प्यार- दोस्ती - वफा - रिश्ते
इनके बीच में रहता है
नाजुक मन होने के बावजूद
बडे से बडा आघात सहता है
पेट भरने के लिए न जाने कितने जतन करता है
हर रोज लडाई लडता है
जीने की खातिर न जाने क्या क्या सहता है
मानव हूँ
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