Monday, 17 June 2024

पिता

पिता को क्या याद करें 
हमारा पता ही पिता है
हमारी पहचान  ही उनसे है
उन बिन कहाँ किसका ठिकाना 
सर पर छत देना मानो आसमान हो
भोजन का प्रबंध करना मानो भगवान हो
हमारी सारी परेशानियों को हर लेना 
अपनी इच्छाओं का त्याग कर देना 
मानो सबसे बड़े दानदाता हो
अपना पसीना बहा कर 
हाड़ मांस एक कर 
हमारी चेहरे पर खुशी ले आना 
मानो हड्डियों का दान करने वाले दधिचि हो
पिता को समझना 
पिता का समझाना 
यह तो कण-कण में बसा है
कहाँ इससे अलग कोई 
दिखता नहीं यह 
दशरथ नहीं बन सकता 
क्योंकि जिंदा भी रहना है
जन्म दिया जिनको
उनकी जिम्मेदारी भी उसकी 
जिस दिन वह नहीं रहता 
जिंदगी के आटे - दाल का भाव समझ आ जाता 
जिंदा रहते भाव दे दो 
उनको भी एहसास करा दो 
आपके बिना तो हम कुछ भी नहीं 

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