Wednesday, 5 June 2024

जिंदगी एक सफर है सुहाना

चला था मैं सफर में 
बहुत कुछ मिला 
बहुत कुछ छूटा 
मंजिल पर पहुंचना था 
मैं चलता गया 
कभी धीरे कभी तेज 
कभी लगा 
रूक जाओ 
बस अब नहीं 
रूकना हुआ नहीं 
मन से बेमन से 
कभी हंसकर 
कभी उदास होकर 
चलता ही रहा चलता ही रहा 
हारा नहीं न बैठा 
मंजिल करीब दिख रही है 
थोडा-सा जोश आया है 
क्या होगा 
कह नहीं सकता 
चलूंग जरूर पहुँचुगा जरूर 
वैसे यह जिंदगी का सफर है 

जिंदगी एक सफर है सुहाना 
यहाँ कल क्या होगा किसने जाना 


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