Friday, 30 August 2024

हवा

आज मैंने हवा को ध्यान से देखा 
सुना भी समझा भी
वह दिखती तो नहीं
महसूस होती है
एहसास कराती है
अपने होने का
शीतलता भी और बवंडर भी
सब समाहित 
सांस की आनी - जानी 
वह है तो जीवन 
किसी को बताती नहीं 
जताती नहीं 
बस कर्म में लिप्त


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