रात अपने घर गई
प्रकृति जी भर खिलखिलाई
चिड़िया भी मन भर चहचहाई
मुर्गे ने भी जोर की बाग लगाई
सूरज ने अपना डेरा डाला
प्रकाश से जग जगमगाया
अंधेरे को दूर भगाया
सब उठे करने लगे भागम-भाग
हर कोई लगा काम पर
सुबह हंसी और बोली
मैं इसलिए तो रोज समय पर आती हूँ
तुमको जगाती हूँ
शाम होते ही चली जाती हूँ
विश्राम करने को छोड़ जाती हूँ
काम तो जरुरी है
साथ में आराम भी जरुरी है
70 -90 घंटे काम करोगे
तो क्या घंटा जीओगे
जीने के लिए काम करना है
काम करने के लिए जीना नहीं
आखिर सब यही छोड़कर चल देना है
फुर्सत के पल निकाल लेना है
बच्चों संग मस्ती कर लेना है
दोस्तों संग ठहाके लगा लेना है
पैरेन्टस के साथ बतियाना है
पत्नी को जी भर प्रेम से निहार लेना है
हर पल का लुत्फ उठाना है
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