Friday, 17 January 2025

भूल जाओ

कभी-कभार लगता है
सब भूल जाऊ 
अपने आप को खो जाऊ 
कुछ याद न रहें
न याद न उसकी टीस
तब वैसा भी क्या जीना 
यादें अच्छी भी तो हैं
उनको कैसे भूले 
उनसे ही जीवन में आशा और जोश
संख्या में भी वह भारी और ज्यादा
एक गलत को सौ अच्छे पर भारी कैसे होने दें
चलता रह रहा है
हिलोरे मार रहा है 
वह बातें वह यादें वह साथ
वह तो साथ ही है 
कुछ-एक को छोड़ दो 
जो पीड़ा देता हो 
फोड़ा होने पर पूरे शरीर को तो नहीं काट सकते 
उसको हटा दो 
मधुर यादों से लहलहाओ 
उनके साथ मुस्काओ 
बोझ नहीं ढोना है जीना है 
खुशी को अपनाओ 

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