यह संसार प्यारा लगता है
हम इसे जी भर कर जीना चाहते हैं
डरता है इंसान मरने से
चाहे लाख बुराई हो तब भी
आपदा कितनी भी हो
परिस्थिति कैसी भी हो
हर बाधा को पार करता है
हर अभाव को सह जाता है
अगर उसे किसी से प्यार हो
जी जान लगा देता है
उसके न होने से किसी को फर्क पड़ता है
यह वह जानता है
अपने लिए नहीं अपनो के लिए जीना चाहता है
यही तो माया है
जिसमें फंसा जग सारा है
नहीं चाहिए स्वर्ग का सुख
पृथ्वी पर चाहिए अपनों का साथ
महादेवी वर्मा जी की
रहने दो हे देव मेरा मिटने का अधिकार
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