कैसे लुटाए कहाँ लुटाए
प्रेम देना ही नहीं प्रेम लेना भी आना चाहिए
सबके बस की बात नहीं
स्वार्थ से परे
मोल - भाव
हिसाब- किताब नहीं
तुमने क्या दिया
इतना तो इतना क्यों
बदले में क्या ??
प्रेम प्रतिदान नहीं चाहता
प्रेम बस प्रेम चाहता है
दिल में थोड़ी सी जगह चाहता है
सम्मान चाहता है
विश्वास चाहता है
अगर है तब तो कोई समस्या ही नहीं
एहसान नहीं एहसास हो
सब कुछ लुटादेने की कुवत हो
न सोच न गुणा - भाग
विशुद्ध प्रेम हो
है ऐसा हो सकता है ऐसा
प्रेम के झरने में गोते लगाए
प्रेम की नदी में बेहिचक तैरिए
लहरों से बिना डरे
जितना उचिल ले
अपनी अंजुरी भर लें
हाॅ यह ध्यान रहें
उस में उतरना ही होगा
आग का दरिया है पार तो करना ही होगा
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