Friday, 7 February 2025

कड़वा सच

कहते हैं लोग 
कितना दुख होता है बेटी की मां को 
जब शादी के बाद अपने ही घर में बुलाने और रखने के लिए 
दामाद और ससुराल वालों की इजाजत लेनी पड़ती है
सही है और स्वाभाविक भी है 
एक पहलू तो यह भी है
बेटी की मां अपने ही घर में 
उसे न रख सके प्रेम और सम्मान से 
न बुला सके कुछ दिन अधिकार से 
उस घर को पराया कर दें 
दामाद और ससुराल वाले तो अपने नहीं
अपने कहे जाने वाले उसे पराया कर दें तब
सोच लो उस मां का हाल
जहां वह मजबूर हो 
कहने और रहने को तो उसका घर
लेकिन मर्जी नहीं चलती 
कड़वा है लेकिन सच है 

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