Thursday, 13 March 2025

जीवन का आनंद

मैंने सुना है 
हर दिल में प्रेम की रसधार बहती है 
फिर तुम इतने शुष्क क्यों
हर बात में नाप - तौल
सोचकर बोलना और करना 
जी भर हंसना भी नहीं 
गंभीरता का आवरण ओढ़कर रखना 
न कोई रुची न शौक 
भीड़ से घबराहट 
बस अपने आप में रहना 
समय के पाबंद और अनुशासन प्रिय
एक मशीन की तरह जीवन 
काम और काम 
उसके अलावा कुछ नहीं
न किसी से नजदीकी न बनाने देना 
शब्दों में भी कंजूसी 
कैसे रहते हो तुम ऐसे 
जी नहीं उबता 
जरा नजर दूसरों पर भी डालो 
अपने आस-पास के लोगों को पहचानो 
मेल जोल बढ़ाओ 
अपनों को प्यार से गले लगाओ 
हर बात में क्या गिला - शिकवा 
स्वाभिमान को मारो गोली 
जरा इंसान बनो खूंखार शेर नहीं हो 
क्या हासिल हो जाएगा दूसरों को डराकर
उनसे दूरी बनाकर
एक दिन बंजर हो जाओगे 
तुम्हारे पास एक भी पौधा न पनपेगा 
बंजर होने से पहले ही लहलहा लो 
प्रेम से भर जाओ 
कुछ अपनी कहो कुछ दूसरों की सुनो 
फिर देखो जीवन का आनंद 

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