Friday, 7 March 2025

एक अकेला

वह इस दुनिया से बिदा ले चुका था 
चिता पर आग लग चुकी थी 
पहले नहलाया फिर फूलों से सजाया 
चार कंधों पर राम - राम करते यात्रा निकल पड़ी 
पीछे कुछ लोग और
बस थोड़ी देर और 
सब एक-एक कर जाने लगेंगे 
आया था अकेला 
गया भी अकेला 
जिनके लिए किया 
वह भी कुछ न कर सके 
अब तीसरी , दशमा,  और तेरही करेंगे 
लोग आएंगे और खाएंगे 
कुछ चर्चा होगी 
कुछ ऑसू बहाएंगे 
कुछ सहानुभूति दिखाएंगे 
कोई बखान तो कोई बुराई 
न जीते जी छोड़ा
न मरने के बाद 
भोज की भी चर्चा 
दान की भी चर्चा 
उसके बाद सब भूल जाएंगे 
लोग- लोग करते जीवन बीता 
लोग कहाँ याद रखते हैं 
जिंदा के पीछे पड़े रहते हैं 
पता नहीं क्या मजा आता है 
ये लोग कहाँ से आते हैं 
जीवन को झंड बनाते हैं 
झंड है फिर भी इसी झुंड में रहना है 
कहने को तो अकेले 
होते बहुतेरे 

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