Monday, 29 September 2025

जब जागे तब सबेरा

मैंने  सब कुछ दिया 
मन से अपना कर्म किया 
फर्ज निभाया 
उनको लगा 
इसमें क्या बड़ी बात है 
वह मोल भाव कर रहे थे 
निभा रहे थे रिश्ते 
जो अनायास मिल गये थे 
उन्हें कभी पसंद ही नहीं थे 
इसलिए हमेशा मीन मेंख निकालते रहे 
हम मजाक समझते रहे 
व्यंग्य को भी हंसकर उड़ाते रहे 
कभी दिल पर न लिया 
उनकी हम जरूरत थे 
वे हमारे अपने थे 
हम व्यापारी नहीं थे 
इसलिए हिसाब नहीं रखा 
जहाँ तुमको करना था तुमने किया 
जहॉ हमको करना था हमने किया 
तुमने अपना याद रखा 
हमारा भूल गए 
जब तक समझे देर हो चुकी 
अब कुछ नहीं 
ठीक है 
जब जागे तब सबेरा 

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