Thursday, 5 June 2014

HAR EK SAATH ZARURI HOTA HAI - international family day !

हम एक -दूसरे  के साथ रहते है । जानते ,समझते और विचार करते है ।
दिन ,सप्तह ,मास ,वर्ष  गुजर जाते है ,क्या इसी को मित्रता कहते है ।

पड़ोसी की मित्रता ,ट्रैन के सहयात्रियों की मित्रता,कार्यस्थल की मित्रता ।

यह मित्रता है या ज़रूरत है । सामाजिक प्राणी है मनुष्य
अकेले तो रह नहीं सकता  किसी न किसी का साथ चाहिए ।

माता-पिता का साथ ,भाई-बहनो का साथ ,सखी सहेलियों का साथ
प्रेमी-प्रेमिका,पति -पत्नी का साथ यहाँ तक पड़ोसी और सहयात्रियों का साथ ।

इसी को बनाये रखने क लिए न जाने कितने प्रयत्न किये जाते है ।
त्याग,प्यार,समर्पण ,धैर्य,सदियों से प्रयत्नशील है मनुष्य

क्या खोया,क्या पाया ज़िन्दगी इसमें उलझ जाती है ।
उलझते-उलझते कहीं खत्म भी होजाती है ,अंतिम समय भी चार कंधो का साथ लेकर
प्यार हो या न हो ,दोस्ती हो या न हो पर एहसानमंद तो होना ही चाहिए
उन लोगों का उन साथियों का जो जिंदगी के हर पड़ाव पर साथ देते गये
मिलते और बिछुड़ते गये ।

जिंदगी गणित नहीं है की जोड़ा और घटाया जाये ।
क्या दिया,क्या लिया ,क्या खोया ,क्या पाया । यह तो है प्रेम,स्नेह और मैत्री का बंधन
                               और
उससे भी ऊँचा है मानवता का बंधन । 
हमारे यहॉ वसुधैव कुंटुंब की भावना है
सारा विश्व ही एक परिवार है





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