कारगिल फिर याद आ गया, समय अपने आप को दोहराता हैं और हमें सोचने को मज़बूर कर देता हैं। कारगिल के जवान जब अपना बलिदान दे रहे थे तो सारा देश दूरदर्शन के माध्यम से उन्हें देख रहा था। आँखे भर - भर आ रही थी। आज उन जवानो के परिवार और घर वालो की हालत का अंदाज़ा लगाया जा सकता हैं। वे तो देश के लिए शहीद हो गए लेकिन सरकार का कर्तव्य उनके परिवारो को हर संभव सहायता देना होना चाहिए , हमें भी सैनिक और सैनिको के परिवार को सम्मान देना चाहिए। क्योंकि वे हैं तभी हम भी सुरक्षित हैं।
आज हर युवा डॉक्टर , इंजीनियर , कंपनी का सीईओ , बैंक ऑफिसर बनना चाहता हैं। पर फ़ौज में जाने से कतराते हैं। माँ - बाप नहीं चाहते कि बच्चे फ़ौज में जाए। लोगो में राष्ट्रीयता की भावना को कायम करना तथा देश भक्ति का जज्बा बनाये रखना देश की सबसे बड़ी जरूरत हैं।
भरा नहीं जो भावो से, बहती जिसमे रसधार नहीं,
वह हृदय नहीं, वह पत्थर हैं, जिसमे स्वदेश का प्यार नहीं।
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