किसी भी घटना को बढ़ा - चढ़ा कर साम्प्रदाइकता का रूप देना उचित नहीं है। इससे दंगे भड़कते हैं। जान-माल का नुकसान होता हैं। लोगो की भावनाए आहत होती हैं तो दूरिया बढ़ जाती हैं। एक क्रिकेट के खेल में आपस में बच्चो का झगड़ा हो जाता हैं या एक छेडखानी की घटना ने दंगे करा दिए। झगड़ा या छेड़खानी धर्म या जाती को देख कर नहीं हुआ था। ऐसे ही हाल की घटना रोटी के विवाद को लेकर हैं। किसी भी नेता या पार्टी को इतना तूल देने की जरूरत नहीं हैं। जो हुआ वह गलत था लेकिन शायद यह जान बूझ कर नहीं किया गया था। किसी भी व्यक्ति के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए। चाहे वह अमिर हो या गरीब हो। नेता तो जनप्रतिनिधि होते है। खाना खराब होने की शिकायत दूसरी तरह से भी की जा सकती थी। अतः सभी को सयंम और मर्यादा का पालन करना चाहिए।
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