शायद हमारे भूतपूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपना मौन विरासत में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दे दिया है। चुनाव के पहले मोदीजी की गर्जना और भाषण सुनने के लिए लोग उतावले रहते थे, वही आज उनकी आवाज सुनने को तरस गए हैं। देश में हाल ही में ऐसी कितनी ही घटनाऍ हुई जैसे कि सहारनपुर या बदायू काण्ड या बढ़ती हुई महंगाई, बाढ़ और सूखे की स्थिति, जासूसी कांड, सीएसएटी का मुद्दा, कही भी प्रधानमंत्री की तरफ से कोई आस्वासन या प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिली। जनता अपने प्रधानमंत्री को देखना - सुनना और उनसे जुड़ना चाहती है। इंटरनेट सबकी पहुँच से बाहर है। मौन रहकर काम करना अच्छी बात है पर इतना भी मौन नहीं कि साधारण जनता आप को और आप के कार्य को समझ ही न सके।
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