Tuesday, 16 September 2014

मिलावट … मतलब जिंदगी से खिलवाड़।

सब्जियों के दाम आसमान छू रहे है, लेकिन दाम देने के बाद अच्छी सब्जी मिलेगी कहा नहीं जा सकता। 
रासायनिक, कृत्रिम रंग से रंगी गयी हरी लाल सब्जिया, किट नाशक का छिड़काओ और रसायन दाल कर पकाए हुए फल, एसिड वाला अदरक, सिरिंज से दवा डाल कर आकार बड़ा होने वाली सब्जिया,
यह सब सुनकर डर ही लगता है, हमारे शरीर में यह सब  रहा है ? लोग इतने लालची और स्वार्थी हो गए है अपने फायदे के लिए ? 

दूध, पनीर, मावा, मिठाइयाँ, तेल, घी सब मिलावटी। मुर्गे भी एंटीबायोटिक दे कर बड़े वजन का कर देना। 
यही हाल रहा तो रोग मुक्त होने की जगह रोगो से ग्रस्त हो जायेंगे लोग।
रोगी और बीमार व्यक्ति से अच्छा देश किस तरह तैयार हो सकता है ? 
अतः इस मिलावट को रोकने के लिए कठोर कारवाई  करनी चाहिए। 



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