Wednesday, 3 September 2014

गुरु से बढ़कर कोई नहीं।।।

शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षको शुक्रिया एवं धन्यवाद। 
गुरु या शिक्षक बिना ज्ञान नहीं मिल सकता। 
माता-पिता के बाद शिक्षक का स्थान ही सर्वो परी होता है। 
शिक्षक होने के नाते समभाव रहना चाहिए, बचपन की नीव जीवन पर्यन्त चलती रहती है। 
आज कल आए दिन शिक्षको के बारे में घटनाएँ छपती रहती है , शिक्षकीय पेशे को शर्मिंदा मत कीजिए। 

अर्जुन को धनुष्य विद्या में पारंगत एवं एकलव्य से उसका अंगूठा मांगते द्रोणाचार्य जैसा गुरु मत बनिए। 
अमीर-गरीब, ऊँच-नीच, होशियार-कमजोर में भेद-भाव करने की अपेक्षा सामर्थ भर देने की कोशिश कीजिए। 

गुरु ज्ञान का सागर 
गुरु ही भाग्यविधाता। 


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