ग्रन्थ, किताबें, साहित्य तो बहुत पढ़ लिया,
पर शायद जीवन की किताब नहीं पढ़ी,
कल्पना में खोना और सपने की उड़ान भरना अलग बात है,
पर जिंदगी जीना इतना आसान नहीं है,
यथार्थ के धरातर पर कदम रखते ही सारी कल्पनायें कपूर की तरह उड़ जाती है,
जीवन को समझना इतना मुश्किल है क्या ?
ताउम्र हम कोशिश करते है फिर भी समझ नहीं पाते,
जिसने जिंदगी को समझ लिया उसने सब कुछ हासिल कर लिया।
जिंदगी रूपी पहेली को हल करने की कोशिश कभी नहीं छोड़नी चाहिए।
पर शायद जीवन की किताब नहीं पढ़ी,
कल्पना में खोना और सपने की उड़ान भरना अलग बात है,
पर जिंदगी जीना इतना आसान नहीं है,
यथार्थ के धरातर पर कदम रखते ही सारी कल्पनायें कपूर की तरह उड़ जाती है,
जीवन को समझना इतना मुश्किल है क्या ?
ताउम्र हम कोशिश करते है फिर भी समझ नहीं पाते,
जिसने जिंदगी को समझ लिया उसने सब कुछ हासिल कर लिया।
जिंदगी रूपी पहेली को हल करने की कोशिश कभी नहीं छोड़नी चाहिए।
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