Sunday, 30 November 2014

देवरा साहब अपने कार्यो से हमेशा याद आएंगे।

मुरली देवरा  का निधन विश्वास नहीं होता, ऐसा महसूस हुआ की अचानक सूर्यास्त हो गया। देवरा साहब का इस तरह जाना सभी को स्तंभित कर रहा है, एक नेता जिसका न चीखना  चिल्लाना, न किसी पर दोषारोपण, न धाराप्रवाह, भाषण करने वाला कुशल वक्ता।

लेकिन हर जगह अपनी पैठ बनाना, चुपचाप अपना कार्य करना, मिलनसार, शांत, चेहरे पर स्वाभाविक मुस्कान, मुंबई की पुरानी इमारतों का मसला हो या फिर हर जगह कंप्यूटर पहुचाना। बच्चो का एडमिशन हो या हॉस्पिटल में एडमिट करने की बात हो।

मलबार हिल का अमीर वर्ग हो या गिरगॉम की चाल में रहने वाला मध्यम वर्ग। नल बाजार, भिन्डी बाजार का मुस्लिम समुदाय या गामदेवी तर्देव का पारसी, व्यापार जगत हो या  राजनीति का मसला, मुरली भाई सभी जगह पसंद किये  जाते थे।  राज्य में , केंद्र में जहां जो भी भूमिका मिली उसे बखूबी निभाया।

निष्ठांवान कोंग्रेसी, विवादों से परे व्यक्ति मुरली भाई जैसे बिरले होते है।

मुरली भाई को भावभीनी श्रद्धांजलि।




Friday, 21 November 2014

बाबाओ के मायाजाल को पनपने के पहले ही ख़त्म कर दिया जाए।

आजकल हरयाणा के हिसार का दृश्य देखकर गर्दन शर्म से झुक जाती है,
इस इसकीसवी सदी में भी हम इन तथा कथित  बाबाओ के चंगुल से मुक्त नहीं हो पाए है,
एक बड़ी भीड़ जुटाने की शक्ति इन बाबाओ के हाथ में है,
इनके अनुयायिओं की संख्या को देख शायद नेता भी अपना वोट बैंक समझ कर इनकी स्तुति करते है।

यह बाबा और आश्रम रातो - रात तो खड़े नहीं हुए,
पुलिस, प्रशाशन, सरकार क्या कर रही थी ?
क्यों नहीं इनके मायाजाल को पनपने के पहले ही नष्ट कर दिया,
यह केवल एक बाबा नहीं ऐसे न जाने कितने ही बाबा विद्यमान है,
जिनपर तुरंत कार्यवाही करने की जरूरत है।
नहीं तो बाद में यह पुलिस, प्रशाशन, सरकार और जनता की मुसीबत बन जायेंगे।


Thursday, 20 November 2014

मीडिया कर्मियों पर प्रहार क्यों ?

हरयाणा के हिसार में मीडिया कर्मियों पर प्रहार,
क्यों पत्रकारों ने क्या गुन्हा किया था ?
प्रजातंत्र के चौथे स्तम्भ को इस तरह से पीटना और हाथापाई करना,
क्या पुलिस को शोभा देता है ?

जो हो रहा है वह दिखाना उनका कर्त्तव्य है,
और उनकी पेशे की मांग भी या यह कहिये की मजबूरी भी,
आये दिन कही न कही पत्रकारों पर हमले हो रहे है,
अपनी जान जोखिम में डाल देना,
रिपोर्टिंग करना और सत्य दिखाना उनपर इस तरह से प्रहार नहीं होना चाहिए।

वे क्यों दिखाए इससे पहले अपने आप को क्यों नहीं सुधरा जाता?
अपने गिरेबान में झाके सब, हर कोई इसके लिए जिम्मेदार है।
सरकार, पुलिस और वह जनता जो इन तथा कथित लोगो का साथ देती है।
पत्रकारों की हत्या हो रही है 
पिछले दिनों दो पत्रकारों की हत्या हुई है
वहॉ की राज्य सरकार क्या कर रही है
जब कुछ होता है तो उनके साथ मारपीट की जाती है
इसे रोकना होगा 
नेताओं और राजनीतिक पार्टी को यह हक नहीं है कि उनके साथ बदसलूकी करें

Tuesday, 18 November 2014

काला धन कब वापस आएगा ?

काले धन पर चर्चा और विवाद जारी है,
पर बाबा रामदेव और दूसरे नेता इस समय खामोश क्यों है ?
जन आंदोलन और काले धन की बात पर सत्ता पलट हुई,
अब जब सब सामने है तो हिल - हवाल क्यों ?

काल धन वापस लाया जाये और दोषियों पर कारवाही हो,
ऐसा नहीं, वैसा नहीं का तर्क देकर अपनी बात सामने रखना,
फिर पुरानी और नई सरकार में फर्क क्या है ?
कही ऐसा तो नहीं की खोदा पहाड़ निकली चुहिया।


Monday, 17 November 2014

मुमकिन है, बस एक ईमानदार कोशिश हो।

स्वच्छता रखना, सच का साथ देना, किसी से न डरना, क़ानून का पालन करना, जरुरतमंद की मदत करना, अपना काम निकालने के लिए रिश्वत न देना, अपने कर्तव्य और अधिकार को जानना, मंजिल पर पहुँचने के लिए गलत तरीको की बजाए, सही तरीको का इस्तेमाल करना, मेहनत करना, हर व्यक्ति में ईश्वर का स्वरुप देखना, न अत्याचार सहना और न करना, न बुरा देखना, न बुरा बोलना और सुनना....

यह सब मुमकिन है ऐसे व्यक्ति भी है इस संसार में, तभी तो संसार चल रहा है,
आप भी नामुमकिन को मुमकिन कर सकते है, बस एक कोशिश कर के तो देखिये,

आमिर खान का यह प्रयास सराहनीय है।




Saturday, 15 November 2014

नेताओ को लेकर राजनीति नहीं करनी चाहिए।

३१ अक्टूबर लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल  जयंती और दुर्गा स्वरुप श्रीमती इंदिरा गांधी की पुण्य तिथि,
दोनों नेताओ का देश को महान योगदान है,
रजवाड़ी प्रथा खत्म कर सभी राज्यों का विलय कर एक भारत करने का श्रेय अगर सरदार पटेल को है तो पाकिस्तान को मुहतोड़ जवाब और संसार के नकशे को बदलने का श्रेय श्रीमती गांधी को है,
देश के लिए दी गयी कुर्बानी को नकारा नहीं जा सकता,
हर व्यक्ति का अपनी अपनी जगह महत्व है,
इन्हे लेकर राजनीति नहीं करना चाहिए।


Thursday, 13 November 2014

आधुनिक भारत के निर्माता पंडित जवाहर लाल नेहरू

१४ नवंबर, बाल दिवस, भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू का जन्म दिवस,
आधुनिक भारत का सपना देखने वाले, विदेशो में अपनी एक अलग पहचान बनाने,
शान्ति का सन्देश देने वाले, बच्चो के प्यारे चाचा नेहरू के योगदान को नाकारा नहीं जा सकता,
नामी - गिरामी बैरिष्टर मोतीलाल के बेटे जवाहर ने आज़ादी के लिए सारी सुख - सुविधाये छोड़ जेल गए,

अपना घर आनंद भवन देश को समर्पित किया,
परिस्तिथियों के अनुसार निर्णय शायद उस समय की मांग हो,
जो आज बराबर न लगती हो,
लेकिन आधुनिक भारत के निर्माता पंडित नेहरू के योगदान और महत्व को नाकारा नहीं जा सकता,

केवल मोतीलाल के ही बहुमूल्य रत्न - जवाहर नहीं बल्कि सारे देश के लिए जवाहरलाल बहुमूल्य है।
Child is the fathar of nation
बच्चा राष्ट्र का पिता हाेता है
भविष्य अगर अच्छा बनेगा तो देश का विकास होगा 
शिक्षा का राजनीति करण नहीं होना चाहिए
सरकारें आएगी और जाएगी पर ईतिहास के साथ खिलवाड नहीं होना चाहिए
भारत के निर्माण में इन महान नेताओं की महत्तव पूर्ण भूमिका रही है 
फिर वह चाहे बापू हो ,पटेल हो तिलक हो या नेहरू
सब ने साथ मिलकर लडाई लडी थी
वैचारिक मतभेद तो होते हैं पर योगदान सभी का है
नेहरू भी उसी में एक हैं ,भारत के पहले प्रधानमंत्री के योगदान को भूलाया नहीं जा सकता .।

Tuesday, 11 November 2014

धन्यवाद दोस्तों मेरे विचार साझा करने के लिए।

धन्यवाद उन सभी वाचको और दोस्तों का जिसने मेरे विचार साझा किए,
यह मेरा १०० वा लेख पूरा हो रहा है,
अगर मेरी लेखनी और मेरे विचार से १ % भी प्रभाव पड़ा हो तो मै इसकी आभारी हूँ ।
यह प्रयास अनवरत जारी रहेगा।