पति के साथ चिता पर सती हो गई। वर्तमान युग में भी ऐसी घटनाएँ घटना चिंता का विषय है। लार्ड बेंटिक का सती प्रथा बंद का क़ानून भारत के लिए बहुत बड़ी देन है। पहले सती की पूजा होती थी। पति के मरने के बाद क्या औरत को जीने का हक़ नहीं है ?
मर्द को कभी सती नहीं बनाया गया। यह ६० साल की वृद्धा अपनी इच्छा से कूदी या उसकी कोई मजबूरी थी ?
और वहाँ के लोग क्या कर रहे थे ? एक औरत का चिता की बेदी पर चढ़ना सम्मान नहीं बल्कि कलंक की बात है।
मर्द को कभी सती नहीं बनाया गया। यह ६० साल की वृद्धा अपनी इच्छा से कूदी या उसकी कोई मजबूरी थी ?
और वहाँ के लोग क्या कर रहे थे ? एक औरत का चिता की बेदी पर चढ़ना सम्मान नहीं बल्कि कलंक की बात है।
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