आमिर खान की पी.के फिल्म इन दिनों विवादों से घिरी हुई है। कही प्रदर्शन किये जा रहे है तो कही पोस्टर जलाये जा रहे है। सिनेमा हॉल को नुक्सान पहुँचाया जा रहा है। लोगों की भावनाएँ आहत हुई है, फिर भी फिल्म
हाँ अगर पुरानी साड़ी - गली रूढ़िवादी और कुप्रथा पर प्रहार हो तो वह ठीक ही है। भगवान के नाम पर विवाद अनुचित है। ईश्वर, ईश्वर है वे हमारे दिलों में रहते है। किसी फिल्म या किसी नाम से कोई फरक नहीं पड़ता।
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