अभ्यास केवल व्यक्तिगत वस्तु ही नहीं, वह एक सामूहिक वरदान भी है,
देश की उन्नति का भी यह मूल मंत्र है और समाज सुधार भी,
एक दिन का नहीं, वर्षो का, एक दो योजनाओं से काम नहीं चलता।
हमे योजनाये बना - बना कर श्रम करते रहना होगा,
योजना आयोग का नाम भले ही बदल कर नीतिआयोग हो,
लेकिन योजनाये जनता की भलाई और देश की समृद्धि और विकास के लिए होनी चाहिए।
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