कभी - कभी ख़याल आता है की अगर ईश्वर न होता तो,
व्यक्ति किस के पास याचना करता, दुखो से मुक्ति पाने के लिए प्रार्थना करता,
गरीबी, बिमारी, भूखमरी, प्राकर्तिक आपदा से लेकर मृत्यु तक हम हमेशा ईश्वर की शरण में ही जाते है।
पूजा - पाठ, विधि - विधान, हवन - यज्ञ, कर्म - काण्ड न जाने किन किन चीज़ो का सहारा लेता है इंसान।
व्रत - उपवास तो करता ही है, ईश्वर किसी भी नाम, धर्म में लेकिन आस्था में कोई कमी नहीं।
कर्म और भाग्य के चक्र में जकड़ा मनुष्य, कितना असहाय हो जाता है, क्यूंकि कब क्या हो वह नहीं जानता।
अगर ईश्वर का नाम और उनका सहारा न होता तो यह संसाररूपी नैया चलना आसान नहीं होता।
ईश्वर में आस्था और विश्वास के सहारे ही तो संसार चल रहा है।
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