आजकल दो सेलेब्रिटी के युवा बच्चियों में आपसी संवाद का मामला चर्चा में हैं। यहाँ तक की पुलिस स्टेशन जाने की और रपट लिखाने की नौबत आ गई। बच्चो के मन को सच्चा कहा जाता है। लेकिन पाठशाला में ग्रुप बनाना, किसी को नीचा दिखाना, व्यंग कसना, अपने शिक्षक का मज़ाक उड़ाना, किसी बच्चे को सताना, आम बात हो गई है और इसमें उनको मजा आता है।
इसका कारण माता - पिता भी है जो अपने बच्चो को बढ़ावा देते है। उनको रोकने - टोकने की बजाये प्रोत्साहित करते है। दो - चार घटनाएँ हो चुकी है कि बच्चों द्वारा बच्चे को पीटा जाना या जान लेना घट चुका है। बच्चे को कोई बड़ा सताए तो उस पर कारवाई हो सकती है, पर अगर बच्चें ही बच्चे को सताए तो क्या किया जाए।
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