धुप, तूफ़ान, ओले - वृष्टि, मौसम की मार किसानों पर,
कभी गर्मी से बेहाल आस - भरी दृष्टी से आकाश को ताकता किसान,
कभी ओले की मार से फसल को बर्बाद होता देखता किसान,
कभी तूफ़ान और अति - वर्षा से खेत में खड़ी फसल नस्ट होता देखता किसान,
अनाज सड़ता देखता किसान, कुछ नहीं कर पाता,
हाथ पे हाथ धरे बैठ रहता है।
भुकमरी के कगार पर परिवार को देख और कर्ज की मार से परेशान किसान के सामने फिर तो एक ही रास्ता बचता है,
वह है आत्महत्या।
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