Tuesday, 19 May 2015

अरुणा शानबॉग ||

                                             
                                                 
एक थी अरुणा,सुन्दर,हँसती -खिलखिलाती,ऊँचे -ऊँचे स्वप्न देखनेवाली
जीवन में ऊंचाइयों को छूने की चाह ,कर्णाटक से मुंबई के KEM हॉस्पिटल का सफर
इतना लम्बा होजायेगा यह सोचा भी न होगा,मृत्यु को आने में भी ४२ साल लग गए
एक अमानवीय दुर्घटना ने उसकी पूरी जिंदगी ही बदल दी
अरुणा की जिंदगी में अरुणोदय होने के पहले ही अँधेरा छा गया
सबने साथ छोड़ दिया लेकिन धन्यवाद के पात्र  है KEM  का स्टाफ
जिन्होंने इतने साल तक पुरे मन से देखभाल और सेवा की
जाते-जाते अरुणा एक सवाल छोड़ गयी है की किस अपराध की सजा उसे मिली
और दोषी आराम से घूम रहा है
इस पहलु पर भी सोचने की जरुरत है ।



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