जिन्दा जलाना,उबालना,मारना यह सब केवल खाने के लिए
त्यौहार ख़ुशी के लिए होना चाहिए न कि किसी बेज़ुबान जानवर को मारकर उत्सव मानाने के लिए
कुत्ता इतना वफादार,रक्षक,उसका दूसरे कार्यो में योगदान हो सकता है
भारत में भी बैल,भैस,बकरे की बलि दी जाती है देवी देवता और खुदा को प्रसन्न करने के लिए
ऐसे बलि से कौनसे देवी-देवता प्रसन्न होने वाले है
पहले शिकार होते थे पर आज वह क़ानूनी अपराध माना जाता है
यह पालतू घर घर पाया जाने वाला जानवर,उनपर अत्याचार
कुत्ते को मारकर और खाकर कौनसा गुडलक होगा ?
ऐसी परम्पराओ को नए ढंग से सोचने और सुधरने की ज़रूरत है।
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