आपस में प्रेम हो सद्भभाव हो ,सबको जीने का अधिकार हो ,हम सब है स्वतंत्र देश के वासी
विकास की दिशा में बढते भारत की आवश्यकता है ये
यह तभी संभव है जब आपस मे प्रेम और भाईचारा हो
यह वही भारत है जहॉ
काशी विश्वनाथ में बिसमिल्ला खॉ की शहनाई बजती
गणेश पूजा में सब मिल जुलकर भाग लेते हैं
क्या गरीब क्या अमीर क्या हिन्दू क्या मुस्लिम
बप्पा का स्वागत और बिदाई सभी चाव से करते है
माउंट मेरी की जत्रा में सब बढ चढकर भाग लेते हैं
हाजी अली की दरगाह पर चादर हर वह व्यक्ति अपनी मन्नत पूरी होने पर चढाता हैं
दीवाली पर अगर मिठाई बॉटी जाती है तो ईद की सिवईयॉ भी उतने ही प्रेम से
क्रिसमस पर केक काटना और सजावट हर कोई करता नया वर्ष सब उत्साह के साथ मनाते हैं
फिर क्यों जरा सी चिन्गारी पर तेरा मेरा की भावना आ जाती है
ईद की चॉद को मुस्लिम मुबारक कहता है तो करवा चौथ के चॉद से हिन्दू सुहागिने अपने सुहाग की दुआ मॉगती हैं
पारसी अगर सूर्य देवता की उपासना करते है तो हिन्दुू हर रोज उन्हे जल चढाते हैं
सूर्य और चॉद तो किसी से भेदभाव नही करते
हवा,पानी ,उजाला प्रकृति बिना भेदभाव के बॉटती है
तो हम इन्सान क्यो अलग थलग की भावना
मंदिर,मस्जिद ,गिरजाघर ने बॉट लिया भगवान को
धरती बॉटी सागर बॉटा मत बॉटो इंसान को
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Friday, 25 September 2015
सद्भभावना और राष्ट्रीयता
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment