Monday, 7 September 2015

जिन्दगी

मौत का नाम सुन कर ही रूह कॉप जाती है
क्यों जिन्दगी से इतना प्यार??
नही शायद जिन्दगी से जुडे लोगो से प्यार
कोई नही रहे तो यह संसार खत्म नहीं होता
संसार तो चलता रहता है, समय भी आगे बढता जाता है    लेकिन किसी के न रहने से प्रभाव तो पडता ही है
जिन्दगी उथल पुथल हो जाती है
उसके मायने बदल जाते है
सँवरने में दशको बीत जाते है
मरने वाला स्वंय तो मर जाता है पर अपने से जुडे लोगो को जीते जी मार जाता है
त्याग और समर्पण ही जिन्दगी है
अपनो के लिए त्याग मे जो आनन्द है
उसमे तो शायद स्वर्ग का सुख भी फीका पड जाय
अपने लिए न सही अपनो के लिए जीए

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