Sunday, 4 October 2015

सबका साथ सबका विकास --कहीं दिखाई दे रहा है?

मोदी जी का स्वच्छता अभियान की सबने सराहना की और लोगों ने बढ चढ कर भाग भी लिया
फोटो खिचवाएँ गए झाडू हाथ में लेकर
यह अभियान कितना सफल होता है यह तो वक्त ही बताएगा क्योंकि यह किसी एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नही है सबको अपनी आदत में सुधार करना पडेगा
गॉधी जयंती पर स्वच्छता अभियान के साथ साथ अगर लोगों के दिलों को स्वच्छ करने का अभियान चलाया जाय तो ज्यादा बेहतर होगा
सडक ,बगीचे और जमीन पर पडी गंदगी को तो झेला जा सकता है पर जिस तरह नफरत की गंदगी फैल रही है उससे कैसै निजात पाया जाय
जबसे नई सरकार आई है कुछ तथाकथित शक्तियॉ बेकाबू हो जा रही है और विष बुझे बयान दे रही है
           एक धर्म के लोग इसलिए उसका बहिष्कार कर देते है कि वह मॉसाहारी है
एक दूसरे धर्म के लोग इसलिए घर में घुसकर हत्या कर देते हैं कि वह पूजनीय जानवर के मॉस का इस्तेमाल किया
यह कोई आज से तो नही हो रहा है सदियों से होगा
कभी कोई साध्वी अपशब्दों का प्रयोग करती है तो कभी कोई योगी
और नेताओ की बयानबाजी की तो पूछने की जरूरत ही नही
बिहार के चुनाव प्रचार में एक के बाद एक प्रहार हो रहे हैं कोई किसी को चारा चोर कह रहा है तो कोई नरभक्षी
कोई अखलाक की हत्या को सही बता रहा है तो कोई उसकी पैरवी कर रहा है
और प्रधानमंत्री जी खामोश हैं वे कुछ बोल क्यों नही रहे हैं
वे सबके प्रधानमंत्री हैं विदेशो के दौरे कर रहे हैं गुगल और फेसबुक के आँफिस जा रहे हैं पर इतनी संवेदनशील घटना पर चुप
मेक इन इंडिया मोदी जी का स्वप्न है लेकिन सिर्फ पैसो से देश का विकास नही हो सकता
विकास तभी संभव है जब देशवासियों के बीच आपस में प्रेम और सद्भभाव हो
अगर देश को कट्टरता से मुक्त नही कराया गया तो देश वैमनस्य की अग्नि में स्वाहा हो जाएगा
पहले तो उनके नेता अनाप शनाप बोलने से बचे दूसरा उन्हें मुक्त भोगी परिवार के साथ खडा होना चाहिए
उसका संग्यान लेना चाहिए
दिलों को कैसे स्वच्छ किया जा सकता है इस पर विचार करना चाहिए तभी देश का सच्चे अर्थो में विकास होगा

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