Thursday, 26 November 2015

आज फिर याद आ गई वह अंधेरी रात २६--११ शहीदों का बलिदान

हेमंत करकरे, संदीप उन्नी कृष्णन ,अशोक काम्टे और विजय सालस्कर को पाकिस्तान से आए आंतकवादियों ने शहीद कर दिया
हमारे ये जाबॉज सिपाही ऐसे लोगों का निशाना बन जाएगे जो इंसानियत के दुश्मन हैं
मुंबई उस दिन थर्रा गई थी
ताज और सी एस टी तथा और जगहों पर हुए मुंबई हमलों को कौन भूल सकता है
शायद इसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी
ऐसा नरसंहार एक साथ पॉच छह जगहों पर
कसाब को पकडा गया सिपाही उंबाले द्वारा
उस दिन मुंबई एक साथ खडी थी
चाहे स्टेशन के कर्मचारी हो या फिर ताज होटल के या फिर कामा अस्पताल की नर्सो ने
हमारे लोगों का खून बिना कारण बहा
उस दिन जो शहीद हुए थे देश हमेशा उनका कर्जदार रहेगा.
और भारतमाता ऐसे सपूतों पर हमेशा गर्व करेगी
ऐसे सपूत जब तक रहेगे तब तक तब तक कोई देश का सर हमेशा ऊँचा रहेगा


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