Sunday, 29 November 2015

कब तक मुंबई की लाइफ लाइन कही जाने वाली लोकल लाइफ लेती रहेगी

भावेश नकाटे २१ वर्ष का यह युवा अपने जान से हाथ धो बैठा क्योंकि वह भीड भरी ट्रेन में प्रवेश नहीं कर पाया
यह केवल एक दिन की घटना नहीं हर रोज दो चार घटनाए होती है
मुसाफिर अपनी जान पर खेल कर सफर करते हैं
अगर भीड थी तो ट्रेन दूसरा पकडना था पर हर ट्रेन ऐसी ही भरी हुई आती है
सबको काम पर जाना होता है
लोग मजबूरी में लटकते हुए प्रवास करते हैं नहीं तो पूरा दिन प्लेटफॉर्म पर ही बैठे रह जाएगे
क्या महिला क्या पुरूष सुबह और शाम के समय बाहर तक लटकते दिखाई देगे चलती ट्रेन में
मौत का सिलसिला बदस्तूर जारी है
एक हँसते खेलते युवक की मृत्यु का इस तरह वीडियों आना रोगंटे खडा कर देता है
वीडियों में साफ दिखाई दे रहा है कि युवक किस तरह प्रयत्न कर रहा है अंदर जाने की और आखिर कार हाथ छुट जाता है
कब तक ऐसा होता रहेगा
घर का सदस्य जब तक घर नहीं आ जाता तब तक डर समाया रहता है
लोग छत पर या खिडकी पकड कर यात्रा करने पर मजबूर है
और यह बात सरकार को भी मालूम है
कोई तो इसका हल निकाला जाय
कब तक लोग इस तरह अपनी जान जोखिम में डाल कर सफर करते रहेंगे

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