त्योहारों का मौसम चल रहा है एक के बाद एक
गणेश उत्सव ,नवरात्र ,मोहर्रम ,पतेती,,दीपावली, क्रिसमस
सब बारी -बारी से
इनको सफल बनाने का जिम्मा हमारे पुलिस कर्मियों पर
क्या कभी हम सोचते हैं कि इनका भी परिवार है
बाल -बच्चे हैं
ये नहीं चाहते कि त्योहार मनाए
पर नहीं ये हमारे कारण रात -दिन काम में लगे रहते हैं
चाहे वह यातायात की व्यवस्था हो या फिर कुछ और
ऊपर से लोग उन्हें हिकारत से देखते हैं
उनके लिए न जाने कैसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है
रात -दिन वे एक कर देते हैं
ड्युटी के कारण खाने-पीने का भी ठिकाना नहीं रहता
जिसका असर उनके स्वास्थ्य पर भी पडता हैं
हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि उनको सहयोग करे
कानून व्यवस्था बनाए रखने में
सम्मान की निगाह से देखे
वे जागते हैं तभी हम अपने घरों में चैन की नींद सोते हैं
आजकल पुलिस पर प्रहार करना उन्हे मारना और टोकने पर जान लेना आम बात हो गई है पुलिस को दौडा कर मारना और जानलेवा हमला ,कानून की धज्जियॉ उडाना और लोगों का तमाशबीन बने रहना खतरे की घंटी है
इसे नहीं रोका गया तो परिणाम भंयकर होगे
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