बिहार की जीत के साथ ही सरकार को यह सोचने पर बाध्य होना पडेगा कि ऐसा क्यों हुआ अब तो उनके नेता सोच समझ कर बोले जनता का मिजाज कोई नहीं जानता लालू प्रसाद यादव ने हर बात को भुनाया यह दिल्ली के बाद भाजपा को दूसरा झटका है कहीं ऐसा न हो कि फिर उसकी वही पुरानी हालत हो विकास के कारण नितीश की जीत हुई है जाति ,धर्म को छोडकर विकास के मुद्दे पर जन धन प्रधानमंत्री की महत्त्वकांक्षी योजना है यह
पर यह कभी सोचा गया कि खाते तो खुल गए
उसमें डालने के लिए पैसे कहॉ से आएगे
रोजगार बढाने के लिए क्या किया जा रहा है
मंहगाई अपनी चरम सीमा पर है
दाल और सब्जी के दाम चरम सीमा पर है
किसान आत्महत्या कर रहे हैं
इस समय आर्थिक सुधारों की जरूरत है
देश के विकास की जरूरत है.
बेरोजगारी की समस्या बढ रही है
युवा आशा लगाए बैठा है
कब तक लोगों को इंतजार करना पडेगा
विकास की बात को छोडकर सारी बातें हो रही है
गरीब का भी ध्यान रखना चाहिए
सतरह महीने हो गये नयी सरकार को
कौन से कदम उठाए जा रहे हैं
पहले पेट भरे लोगों का बाकी बाद में
रोटी ,कपडा ,मकान ,रोजगार ,सुरक्षा जनता को चाहिए
विदेश नीति ,विदेश में प्रसिद्धी से सामान्य जनता को लेना -देना नहीं होता
आम आदमी की आम जरूरते हैं उसका जीवन सुगम बने
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Friday, 6 November 2015
बिहार की जीत एक चुनौती मोदी सरकार के लिए
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