Monday, 9 November 2015

दीपावली - घर ऑगन के साध मन को भी ज्योतिर्मय करने का त्योहार

दीपावली आ गई है धनतेरस से यह उत्सव शुरू हो गया है ,हम त्योहार मनाते क्यों है?
एक -दूसरे से जुडने के लिए
जीवन के प्रति सकरात्मक दृष्टिकोण के लिए
ईश्वर के प्रति कृतग्यता जताने के लिए
सबके साथ खुशियॉ बॉटने के लिए
       सच तो यह है कि त्योहार हमें विनम्र बनाते हैं
हमें अपना अंहकार छोड दूसरों के आगे झुकना सिखाते हैं
हर धर्म में त्योहार मनाने का यही उद्देश्य हैं कि हम लोगों से जुडे रहे उन्हें भूले नहीं ,इसलिए समय-समय पर ये त्योहार मनाये जाते हैं
जब हम जिंदगी की भागदौड से परेशान होते हैं तो हमारे अंदर नकरात्मक उर्जा इकठ्ठी होने लगती है
इसका असर यह होता है कि हम नीरस होते जाते हैं
हमारे अंदर का प्रेम कम होने लगता है
हम मतलबी और व्यक्तिकेंन्द्रित होने लगते हैं
ऐसे में जब हम त्योहार मनाते हैं तो लोगों से सारे गिले -शिकवे भूला कर मिलते हैं
उत्सव मनाते हैं तो द्वेष कम होता है
सभी परेशानियों और तनाव को भूलकर हम त्योहार की तैयारी करते हैं
मनुष्य सामाजिक प्राणी है बिना एक -दूसरे के साथ के नहीं रह सकता

त्योहार एक ढर्रे की जिंदगी को बदल देते हैं
कुछ नयापन का अहसास होता है
जिस तरह से दुख बॉटने से कम होता है वैसे ही खुशी बॉटने से बढ जाती है

दिए जलाए और लोगों से प्रेम बढाए

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