Friday, 8 April 2016

नारी शक्ति की आराधना

चैत्र शुद्ध प्रतिपदा यानि हिन्दू नव वर्ष की शुरूवात
राम भगवान  का अयोध्या आगमन
पुरानी नान्यताओं के अनुसार ब्रहा ने इसी दिन सृष्टि की रचना की थी
भारतीय संस्कृति में त्योहार के साथ ही स्त्री को भी सम्मान प्राप्त है
नारी माता है ,जननी है ,सृष्टि की आधार शिला है
पर नारी उस समय भी सुरक्षित नहीं थी
आज भी नहीं है
सीता ,द्रौपदी ,अहिल्या इसका उदाहरण है
आज नारी तरक्की कर रही है फिर भी वह सुरक्षित है क्या ़़़़़़़़़़
आज भी गर्भ में मार दी जा रही है
रानी लक्षमीबाई ,इंदिरा गॉधी ,मदर टेरेसा और कल्पना चावला आदि क्या किसी से कम है
समाज में बदलाव की जरूरत है
धर्म के साथ - साथ त्योहारों का वैज्ञानिक महत्तव  भी है ,आज के तनाव भरे जीवन में तो यह बहुत जरूरी है
कल ही विश्व स्वास्थ्य दिवस था
वंसत का आगमन तो होता ही है, वातावरण में भी बदलाव होता है
राम नवमी के माध्यम से राम के आदर्श चरित्र से अवगत होते हैं
उत्सव यह सबको पास लाने का कार्य करता है
अमीर ,गरीब छोटा ,बडा ,हर जाति कोऔर मनुष्य को जोडता है
सबका महत्तव समझाता है
दान का महत्तव बताता है
नारी का महत्तव और समानता की भावना का संदेश देता है

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