Thursday, 7 April 2016

जाके पैर न फटे बिवाई वो क्या जाने पीर पराई

यानि जिसने स्वयं पीडा का अनुभव न किया हो वह दूसरों की पीडा को क्या समझेगा
हमारे ऊपरी मंजिल के एक पडोसी ने अपने बच्चे का डाइपर बगल के कोने में फेक दिया
दूसरी पडोसी जो अविवाहित है उसके द्वारा टोकने पर उत्तर मिला कि क्या जानेगी ,मॉ होती तब न
यह आम बात है ,इसके पहले आज की एक बडी नेता के पुत्र को भडकाऊ भाषण देने के कारण जेल में बंद किया गया था तो उन्होंने दूसरी अविवाहित नेता पर आरोप लगाते हुए कहा था
वो क्या जाने ,बेटे की मॉ होती तब ना
मॉ बनने के लिए जन्म देने की जरूरत नहीं ,भावना होनी चाहिए
मदर टेरेसा एक की नहीं न जाने कितने दीन - दुखियों की मॉ थी
बाबा आमटे कोढ से ग्रस्त नहीं थे ,पर जीवन कोढियों की सेवा में समर्पित किया
ऐसी भी मॉ हुई है जिसने अपने प्रेमी के लिए बच्चों का गला घोट दिया या मौत के घाट उतार दिया
संवेदनशील होना अलग बात है ,उसके लिए किसी प्रमाण की जरूरत नहीं होती
पर हॉ लोग ताने मारने से बाज नहीं आते

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