कल रात जम कर बारिश हुई कडकडाती बिजली
और मेघ गर्जन के साथ ,अच्छा लगा,बारिश तो हुई
दूसरे दिन पाठशाला जाने की जद्दोजहद
ट्रेन और बस लेट ,टेक्सी की हडताल
किसी तरह इन बाधाओ को पार किया
वहॉ बिजली नहीं ,लाईट- पंखा सब बंद
पूरा दिन उमस और गर्मी ,बाहर तेज धूप
स्टाफ रूम में सर्वत्र अंधकार
कक्षा में अंधेरे का साम्राज्य ,बच्चे बेहाल
बिजली नहीं ,पानी नहीं
घंटी बजी ,आज का दिन बीता ,सब घर जाने को आतुर
दूसरे दिन आते ही चेहरे पर मुस्कान
उजाला और हवा ,मन प्रफुल्लित
ऐसा लगा सब नया - नया और उजला - उजला
एक दिन के अंधेरे ने बिजली का महत्तव समझा दिया
प्यास लगी हो तभी पानी की कीमत पता चलती है
धूप के कारण छाया और अकेलेपन में साथी
के महत्तव को नकारा नहीं जा सकता
यही तो जिंदगी का सार है भाई
अगर आसानी से सब मिल जाय तो उसकी कीमत का अंदाजा नहीं होता
फिर वह चाहे पैसा हो ,संबंध हो , या रोजमर्रा की जरूरत हो
जो मिला है उसे संभालकर रखिए
कितनों को तो वह भी नसीब नहीं
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Wednesday, 22 June 2016
जो मिला है उसे संभाल कर रखिए भाई
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment