बर्तनों की तो बात मत पूछिए
आजकल सब व्यस्त है टकराव में.
मंहगाई और मेहमान दोनों खडे हैं
किसका करू सत्कार इस अभाव में
टमाटर खरीदू या सेव
दाल खरीदु या चिकन
सब्जी खाना है ,सेहत बनाना है
पर कैसे ???
दूध - दही का पडा अकाल
मक्खन - बटर करे गुहार
अब तो बटाटा - कॉदा का ही सहारा
हाय रे ंं विकास
पेट न भरे न सही ,मंगल पर तो पहुँच ही गए
लोकल ठप्प हो जाय पर बुलेट ट्रेन तो दौडेगी
आम आदमी का पेट भरे या न भरे
इसकी किसको परवाह
बस वोट मिले और सत्ता मिले
अपना पेट भरे
अब जब चुनाव आएगा
विकास की झलक दिखलाएगा
मंहगाई की बात धरे रह जाएगी
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Wednesday, 22 June 2016
हाय - मंहगाई
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