Saturday, 25 June 2016

फिर मिंलेगे ,बाय- बाय ,टाटा ,आउजो

कल का क्या पल का ठिकाना नहीं है
पर फिर भी हम कहते हैं फिर मिलेंगे
आज में रहते है और भविष्य के सपने बुनते हैं
अगली पीढी के लिए भी
नई- नई योजनाएं बनाते हैं
प्रयत्न करते हैं
पैसा और संपत्ति इकठ्ठा करते हैं
मकान बनवाते हैं
बुढापे की योजनाएं बनाते हैं
मृत्यु तो जीवन का अटल सत्य है
यह तो सब जानते है पर समय नहीं
भविष्य दिखवाते हैं पंडितों और ज्योतिषियों से
कब क्या होने वाला है यह जानने के लिए
यही आशा तो हमें जीवन जीना सिखाती है
लाख तकलीफे आ जाय पर जीने का जज्बा कायम
हार को जीत में  बदलने को तत्पर
बस चले तो मौत को भी पछाड दे
जीने के लिए न जाने कितने उपाय करते
दवाई से लेकर प्रत्यारोपण तक
हमें कुछ करना है
ईश्वर हमारे साथ है
यही भरोसा तो हमें जीने के लिए प्रेरित करता है
नहीं तो कौन कहता
   फिर मिलेगे ,बाय- बाय ,टा टा ,आउजो

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