Friday, 24 June 2016

मॉ- तुझसे ही मेरा असतित्व

जिंदगी तू मुझ पर मेहरबान
मॉ देकर स्वर्ग का सुख दे दिया मुझे
चीखना ,चिल्लाना ,झल्लाना
उस पर भी चेहरे को ताकती मॉ
जिंदगी के हर पडाव पर साथ निभाती
चोरी - छुपे मदद करती मॉ
बच्चों के बच्चों का भी पालन करती ,प्यार लुटाती मॉ
शायद इसलिए घर नानी का ही होता है
मॉ से ही मायका होता है
हाथ - पैर अशक्त,कमजोर पर खाना खिलाने को आतुर
मॉ बडा होने ही नहीं देती
बडे- बडे बच्चों की मॉ को ही बच्चा समझना
कभी - कभी खीझ होती है
हर बात में टोका टोकी
पर मॉ है कि मानती ही नहीं
लगता है कि मॉ के सामने मेरा कोई असतित्व नहीं
पर यह भूल गई कि
तुमसे ही तो मेरा असतित्व है मॉ

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