Friday, 24 June 2016

देने में ही जीवन की सार्थकता

पत्थर तराशा जाता है तब भगवान की मूर्ति बनती है
गुलाब कॉटों पर रहता है तो ही राजा कहलाता है
मॉ प्रसव पीडा सहती है इसलिए महान है
नदी जल देती है तब ही जीवनदायिनी मानी जाती है
गाय दूध देती है तब ही गौ माता है
पीपल ऑक्सीजन देता है तभी वासुदेव का निवास स्थान है
सूर्य प्रकाश देता है तभी वह भगवान भास्कर है
कमल ,कीचड में रहकर भी खिलता है
तभी वह शिव जी का प्यारा है
चॉद शीतलता प्रदान करता है तभी सब उसके दर्शन को उतावले रहते हैं
जब तक दोगे नहीं तब तक तुम्हें पहचानेगा कौन
निस्वार्थी बनो ,परोपकारी बनो
मिटोगे तो ही कायम रहोगे
अन्यथा जीवन व्यर्थ करोगो

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