Sunday, 19 June 2016

बाबूजी - Happy Father's day

अपने बाबूजी की दुलारी ही नहीं मैं दोस्त भी थी
बचपन में वह मेरा बस्ता अपने कंधे पर लटकाएं और बाते करते - करते हम बाप - बेटी जाते थे ,रास्ते में पडने वाले इरानी होटल में कभी - कभी मिसल - और बडा पाव खिलाकर भेजते थे
कभी पढने के लिए जोर नहीं डाला
यहॉ तक कि कॉलेज में एडमिशन लेते उनका कहना कि सांइस मत लेना ,आर्टस लेना
कहानी पढने का शौक है ,पढाई पूरी कर लेगी
फिल्म देखना हो या और कही जाना हो मैं हमेशा उनके साथ रही
ऑपेरा हाउस थियेटर में लगने वाली हर फिल्म हम देखते थे
एक बार स्कूल का रंगभवन में पोग्राम था तो बाबूजी बस में बोले कि क्या वहॉ जाएगी
हम लोग फिल्म देखेगे और हम उतर कर "दो चोर " देखी
फेल होने पर मैं चारपाई के नीचे दुबक कर सो जाती थी तो बटाटा बडा लाकर कहते
अब बाहर निकल ,और यह खा ले
सुबह - सुबह मुझे पढने के लिए बाहर चारपाई डालते थे और मैं उडती पतंग देखती थी
व्याकरण पढाने बैठते तो उनका
Present ,past ,Future Tence
मेरी समझ से बाहर रहता था पर आज जब बच्चों को पढाती हूँ तो उनका महत्तव समझ में आता है
एक बार का वाकया कि मैं शर्मा क्लास से छूट कर अपनी सहेली के घर चली गई और चार - पॉच घंटे वही लगा दिया
उस समय फोन तो नहीं था ,बस में बैठकर आ ही रही थी कि बाबुजी बस पकडने के लिए भागते दिखे
मैं खुशी में उनको चिल्लाकर आवाज देने लगी
चढते ही चप्पल निकालकर मझे मारने लगे
कंडक्टर के टोकने पर रूके ,तब बुरा लगा था
पर आज अपने बच्चों की मॉ बनने पर पता चलता है कि मॉ- बाप को कितनी चिंता रहती है
कहते थे कि मुझे सब्जी बहुत पसन्द है जब शादी होगी तो रोज इसको सब्जी पहुँचा दूगा
उनके ही घर में रहती थी और उनसे ही लडती थी
एक बेटी का हक था अब तो लडने से डर लगता है
जिस पर घमंड था वही नहीं रहा
मैं ऑख दिखाती और बच्चे भी
कभी गुस्से में आकर कहते - मेरे घर से निकल जाओ
तो जवाब मिलता - चलो निकलो आप यहॉ से
और वे मन ही मन हँसते बाहर चले जाते
लोग लडके को ज्यादा प्यार करते हैं पर बाबूजी ने कभी यह भेद नहीं किया
मैं हमेशा उनके दिल के करीब रही
आज वे हमारे बीच नहीं है पर मैं जो कुछ भी हूँ
उन्हीं की बदौलत हूँ
हर जन्म में बाबूजी आप ही मेरे पिता बने
सीधा- सच्चा ,ईमानदार ,निरव्यसनी ,विद्वान ,प्रेमल ,भावना शील ,सादा जीवन ,उच्च विचार
तथा विचार में समय से दो पीढी आगे
आधुनिकता को अपनाने वाले बाबूजी
आप को तो कभी भूलाया ही नहीं जा सकता
मेरे जीवन को बनाने और सँवारने में आप ही है
यह जीवन सदा आपका त्रृणि रहेगा

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