Friday, 1 July 2016

सबसे बडा रूपैया

मैं पैसा हूँ ,हर किसी का प्यारा
मैं रहता तो नीचे हूँ पर लोगों को ऊपर पहुँचा सकता हूँ
सारी दूनियॉ मेरे ही गोल - गोल घूमती है
जब मैं बोलता हूँ तो दूनियॉ आपकी मुठ्ठी में
अर्श से फर्श और फर्श से अर्श तक
सदियों से मैं सबका प्यारा रहा
हॉ मेरे रूप बदलते गये
मुझे संभालने के लिए न जाने कितने जतन किए गए
कोई तिजोरी में तो कोई बंद ताले में
कभी किसी ने जमीन में गाडा तो किसी ने दीवार में.
मेरे ही कारण मान - सम्मान
मैंने रिश्तों को बदलते देखा है
दुश्मनी का कारण बना हूँ
मार - काट और फसाद की जड
बडे- बडे बैंको की मैं शोभा हूँ
मेहनत कश का सहारा तो काले धन के रूप में बेईमान
सबका प्यारा
एक - एक पैसा जोडते लोग
पर सब यही रह जाता है
गरीब की रोटी तो अमीरों का ऐशोआराम
पल भर में किस्मत बदल सकता हूं
मेरी तो सब पूजा करते हैं
मेरे ही कारण कोई भिखारी तो कोई दाता
आज भी लोगों का नाम मेरे ही दान के कारण पत्थरों पर अंकित
मैं तो भगवान पर चढाया जाता हूँ
लोग मन्नते मॉगते है मुझे पाने के लिए
संसार में कोई ऐसा नहीं जो मुझे प्यार न करता हो

No comments:

Post a Comment