Tuesday, 26 July 2016

मेरा भैया

मेरा भैया नटखट ,भोलाभाला
देर तक सोता ,दोपहर तक नहाता
एक नंबर का आलसी
एक बार का काम चार बार में करता
दिन भर मोबाईल पर रहता
बारह बजे तक घर से बाहर रहता
दोस्तों संग मौज उडाता
मॉ की नाक में दम कर रखता
दिखने में कमजोर पर घर का असली मर्द है वह
उससे ही घर में रहती रौनक
पूरा दिन खाता
जो भी दे दो
अंडा- पाव है उसका प्यारा भोजन
पैसे - जेबखर्च को लेकर करता रोज लडाई
पर तो भी है सबका प्यारा
भैया न होता तो किसे बॉधती राखी
किससे लडती किससे झगडती
किसकी करती शिकायते
किससे आस लगाती ,किससे स्नेह दिखाती
मेरा भैया प्यारा भैया
हर रोज याद उसकी आती है
दूर गया है पढने जो
कैसे रहता कैसे खाता होगा मेरा नन्हा भैया
कुछ भी हो कभी शिकायत न करता
मॉ- पापा के साथ लडाई में मेरे संग हो जाता
कुछ भी न देता मुझको
ऊपर से ले लेता
और मुँह बनाकर बेचारा बन जाता
कैसा भी हो मेरा भैया
पर सबसे है प्यारा

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