एक कुम्हार था वह एक दिन मिट्टी की चिलम बना रहा था ,चिलम पूर्ण होने के कगार पर थी
अचानक कुम्हार का विचार बदल गया
उसने चिलम को तोडकर घडा बनाना शुरू किया
माटी ने उससे पूछा कि उसने ऐसा क्यों किया
चिलम अच्छी तो बन रही थी
कुम्हार ने उत्तर दिया
ऐन वक्त पर मेरी मति बदल गई
माटी ने उत्तर दिया
आपकी मति बदलने से मेरा जीवन बदल गया
मैं चिलम रहती तो मुझमें तंबाखू डालकर सुलगाया जाता
मैं हमेशा जलती रहती और लोगों को भी जलाती
घडा बनकर पुण्य का काम करूगी
संवयं शीतल रहूगी और लोगों को भी शीतल करूंगी
अगर हम सही निर्णय लेते हैं तो स्वयं तो खुश होगे ही दूसरों को भी खुश कर सकेगे
एक सही निर्णय किसी का जीवन बदल सकता है
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